भारतीय हस्तकला

Print Friendly, PDF & Email

 

  • भारतीय पारम्परिक क्रॉफ्ट हमेशा से ही काफी चर्चित और आकर्षण का केंद्र रहे हैं।
  • इतनी पुरानी विधा तथा उद्योग का 21वीं सदी तक टिका रहना इसकी सम्पन्न व समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, मजबूत इतिहास और बहुमूल्यता को दर्शाता है।
  • राजस्थान, गुजरात, असम तथा दक्षिण भारत के क्रॉफ्ट पूरी दुनिया में पसंद किए जाते हैं।
  • भारत में इस विधा को बचाए रखने तथा आगे बढ़ाने के लिए कई शिक्षण संस्थान खोले गए हैं। 
  • अगर हम वर्तमान की स्थिति देखें तो हममें से अधिकतर लोग इस बात को मानते हैं कि भारतीय हस्तकला अपने बुरे दौर से गुजर रहा है।
  • 1995 में डब्ल्यू.टी.ओ. के अस्तित्व में आने के बाद ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि मार्केट तक बेहतर पहुँच के कारण हैंडीक्रॉफ्ट उद्योग के निर्यात में इजाफा होगा। 

भारतीय हस्तकला की स्थिति 

  • लगभग पूरा का पूरा भारतीय हैंडीक्रॉफ्ट उद्योग एक अनऑर्गेनाइछड सेक्टर (असंगठित क्षेत्र) है
  • इस सेक्टर में काम करने वाले कारीगर बहुत ही गरीब और अधिकारहीन हैं। 
  • हैंडीक्रॉफ्ट यूनिट्स अक्सर छोटी और ग्रामीण इलाकों में स्थापित होती हैं जहाँ यूनिट स्थापित करने तथा उसे बेहतर तरीके से चलाने के लिए आवश्यक आधारभूत सुविधाओं की काफी कमी होती है और यदि ये सुविधाएँ उपलब्ध होती भी हैं तो कारीगर अपनी निर्धनता के कारण उनका लाभ नहीं उठा पाते।
  •  लघु उद्योग की चौथी गणना (2006-07) यह बताती है कि इस प्रकार की यूनिट को ऋण किसी भी हालत में नहीं मिल पाता। 

भारतीय हस्त कला को जीवित बनाये रखने के उपाय

  • भारतीय ग्रामीण समाज में वित्तीय पूंजी की भले ही कमी हो, मानवीय पूंजी की कमी नहीं है। हमारे यहाँ कई कारीगर तथा कारीगरों के समूह हैं जो बिखरे हुए हैं। जरुरतहै इन्हें एकसाथ लाने की। इन कारीगरों के स्वयं सहायता समूह बनाकर इन्हें सूचना, कौशल तथा वित्तीय सहयोग से जोड़ा जा सकता है।
  • उन्हें आधुनिक तकनीकों, प्रबंधन निपुणता तथा आधुनिक कौशल का प्रशिक्षण दिया जा सकता है। उन्हें प्रमाणित एजेंसियों से ऋण दर तय करवाने और प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है इस मामले में माइक्रो फाइनेंस समूहों से प्रेरणा ली जा सकती है।
  • बैंक भी इस प्रकार के स्वयं सहायता समूहों को ऋण देने को लाभदायक मानते हैं। SME (स्मॉल/मीडियम एंटरप्राइजेज) के माध्यम से ये समूह सीधा मार्केट से अपना संबंध स्थापित कर पूंजी बढ़ाने की क्षमता भी हासिल कर सकते हैं। 
  • वैसे तो भारत सरकार द्वारा इस प्रकार के कई कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं परंतु जरूरत है उन्हें सही मायनों में इन कारीगरों तक पहुँचाने की|
  • हैंडीक्रॉफ्ट उद्योग के लिए वैश्विक स्तर पर कुछ नए मार्केट खोजने की भी आवश्यकता है। 
  •  चमड़े के उद्योग में यूरोपीय संघ के ‘रीच अधिनियम’ का पालन करने हेतु कानपुर में ऐसा पहले किया जा चुका है।

  इस उद्योग में कार्यरत वर्ग को इस प्रकार के सहयोग देने की है जिससे वे सरकार या किसी और पर आश्रित न रहें बल्कि अपना कौशल बढ़ाकर खुद को और इस उद्योग को उस मुकाम तक ले जाएँ 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *