सिंधु घाटी सभ्यता

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  • सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्यता थी।
  • यह हड़प्पा सभ्यता और सिंधु-सरस्वती सभ्यता के नाम से भी जानी जाती है।

खोज

  • 'रायबहादुर दयाराम साहनी' ने ही पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक 'सर जॉन मार्शल' के निर्देशन में 1921 में इस स्थान की खुदाई करवायी।
  • 1922 में 'श्री राखल दास बनर्जी' के नेतृत्व में पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के 'लरकाना' ज़िले के मोहनजोदाड़ो में स्थित एक बौद्ध स्तूप की खुदाई के समय एक और स्थान का पता चला।
सिधु सभ्यता के प्रमुख स्थल एवं उसके खोजकर्ता
प्रमुख स्थल खोजकर्ता वर्ष
1- हड़प्पा माधो स्वरूप वत्स, दयाराम साहनी 1921
2- मोहनजोदाड़ो राखाल दास बनर्जी 1922
3- रोपड़ यज्ञदत्त शर्मा 1953
4- कालीबंगा ब्रजवासी लाल, अमलानन्द घोष 1953
5- लोथल ए. रंगनाथ राव 1954
6- चन्हूदड़ों एन.गोपाल मजूमदार 1931
7- सूरकोटदा जगपति जोशी 1964
8- बणावली रवीन्द्र सिंह विष्ट 1973
9- आलमगीरपुर यज्ञदत्त शर्मा 1958
10- रंगपुर माधोस्वरूप वत्स, रंगनाथ राव 1931.-1953
10- कोटदीजी फज़ल अहमद 1953
11- सुत्कागेनडोर ऑरेल स्टाइन, जार्ज एफ. डेल्स 1927

कुल 6 नगर

अब तक भारतीय उपमहाद्वीप में इस सभ्यता के लगभग 1000 स्थानों का पता चला है जिनमें कुछ ही परिपक्व अवस्था में प्राप्त हुए हैं।

हड़प्पाकालीन नदियों के किनारे बसे नगर
नगर नदी/सागर तट
1- मोहनजोदाड़ो सिंधु नदी
2- हड़प्पा रावी नदी
3- रोपड़ सतलुज नदी
4- कालीबंगा घग्घर नदी
5- लोथल भोगवा नदी
6- सुत्कागेनडोर दाश्त नदी
7- वालाकोट अरब सागर
8- सोत्काकोह अरब सागर
9- आलमगीरपुर हिन्डन नदी
10- रंगपुर मदर नदी
10- कोटदीजी सिंधु नदी

सभ्यता का विस्तार

  • अब तक इस सभ्यता के अवशेष पाकिस्तान और भारत के पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर के भागों में पाये जा चुके हैं।
  • उत्तर में 'जम्मू' के 'मांदा' से लेकर दक्षिण में नर्मदा के मुहाने 'भगतराव' तक  
  • पश्चिमी में 'मकरान' समुद्र तट पर 'सुत्कागेनडोर' से लेकर पूर्व में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरठ तक
  • सिन्धु सभ्यता का विस्तार का पूर्व से पश्चिमी तक 1600 किलोमीटर तथा उत्तर से दक्षिण तक 1400 किलोमीटर था। 

काल निर्धारण

  1. पूर्व हड़प्पाई चरण: लगभग 3500-2600 ई.पू.
  2. परिपक्व हड़प्पाई चरण – लगभग 2600-1900 ई.पू.
  3. उत्तर हड़प्पाई चरण: लगभग 1900-1300 ई.पू.

इमारतें

सिंधु घाटी प्रदेश में हुई खुदाई कुछ महत्त्वपूर्ण ध्वंसावशेषों के प्रमाण मिले हैं। हड़प्पा की खुदाई में मिले अवशेषों में महत्त्वपूर्ण थे –

  1. दुर्ग
  2. रक्षा-प्राचीर
  3. निवासगृह
  4. चबूतरे
  5. अन्नागार आदि ।

धर्म

  • मातृ या प्रकृति की पूजा भारतीय करते रहे 
  • अभी तक सिन्धु घाटी की खुदाई में कोई मन्दिर या पूजा स्थान नहीं मिला
  • धार्मिक जीवन का एकमात्र स्रोत यहाँ पाई गई मिट्टी और पत्थर की मूर्तियों तथा मुहरें हैं।
  • इनसे यह ज्ञात होता है कि यहाँ मातृदेवी की, पशुपति शिव की तथा उसके लिंग की पूजा और पीपल, नीम आदि पेड़ों एवं नागादि जीव जंतुओं की उपासना प्रचलित थी।

मुख्य स्थल

हड़प्पा

  • हड़प्पा 6000-2600 ईसा पूर्व की एक सुव्यवस्थित नगरीय सभ्यता थी।  
  • वर्तमान में यह पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में स्थित है। 

मोहनजोदड़ो

  • मोहन जोदड़ो, जिसका कि अर्थ मुर्दो का टीला है 2600 ईसा पूर्व की एक सुव्यवस्थित नगरीय सभ्यता थी।
  • हड़प्पा, मेहरगढ़ और लोथल की ही शृंखला में मोहन जोदड़ो में भी पुर्रात्तव उत्खनन किया गया।
  • यहाँ मिस्र और मैसोपोटामिया जैसी ही प्राचीन सभ्यता के अवशेष मिले है।

चन्हूदड़ों

  • मोहनजोदाड़ो के दक्षिण में स्थित चन्हूदड़ों नामक स्थान पर मुहर एवं गुड़ियों के निर्माण के साथ-साथ हड्डियों से भी अनेक वस्तुओं का निर्माण होता था।
  • 1943 ई. में 'मैके' द्वारा यहाँ उत्खनन करवाया गया। सबसे निचले स्तर से 'सैंधव संस्कृति' के साक्ष्य मिलते हैं।

लोथल

  • यह गुजरात के अहमदाबाद ज़िले में 'भोगावा नदी' के किनारे 'सरगवाला' नामक ग्राम के समीप स्थित है।
  • इस स्थल से समकालीन सभ्यता के पांच स्तर पाए गए हैं।
  • यहाँ पर दो भिन्न-भिन्न टीले नहीं मिले हैं, बल्कि पूरी बस्ती एक ही दीवार से घिरी थी।

रोपड़

  • पंजाब प्रदेश के 'रोपड़ ज़िले' में सतलुज नदी के बांए तट पर स्थित है।
  • इसका आधुनिक नाम 'रूप नगर' था।

कालीबंगा (काले रंग की चूड़ियां)

  • यह स्थल राजस्थान के गंगानगर ज़िले में घग्घर नदी के बाएं तट पर स्थित है।
  • यहाँ पर प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष मिले हैं।

सूरकोटदा

  • यह स्थल गुजरात के कच्छ ज़िले में स्थित है।
  • इस स्थल से 'सिंधु सभ्यता के पतन' के अवशेष परिलक्षित होते हैं।

आलमगीरपुर (मेरठ)

  • पश्चिम उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले में यमुना की सहायक हिण्डन नदी पर स्थित इस पुरास्थल की खोज 1958 में 'यज्ञ दत्त शर्मा' द्वारा की गयी।

रंगपुर (गुजरात)

  • गुजरात के काठियावाड़ प्राय:द्वीप में भादर नदी के समीप स्थित इस स्थल की खुदाई 1953-54 में 'ए. रंगनाथ राव' द्वारा की गई।
  • यहाँ पर पूर्व हडप्पा कालीन सस्कृति के अवशेष मिले हैं।
  • यहाँ मिले कच्ची ईटों के दुर्ग, नालियां, मृदभांड, बांट, पत्थर के फलक आदि महत्त्वपूर्ण हैं।
  • यहाँ धान की भूसी के ढेर मिले हैं।
  • यहाँ उत्तरोत्तर हड़प्पा संस्कृति के साक्ष्य मिलते हैं।

बणावली (हरियाणा)

  • हरियाणा के हिसार ज़िले में स्थित दो सांस्कृतिक अवस्थाओं के अवषेश मिले हैं।
  • हड़प्पा पूर्व एवं हड़प्पाकालीन इस स्थल की खुदाई 1973-74 ई. में 'रवीन्द्र सिंह विष्ट' के नेतृत्व में की गयी।

अलीमुराद (सिंध प्रांत)

  • सिंध प्रांत में स्थित इस नगर से कुआँ, मिट्टी के बर्तन, कार्निलियन के मनके एवं पत्थरों से निर्मित एक विशाल दुर्ग के अवशेष मिले हैं।
  • इसके अतिरिक्त इस स्थल से बैल की लघु मृण्मूर्ति एवं कांसे की कुल्हाड़ी भी मिली है।

सुत्कागेनडोर (दक्षिण बलूचिस्तान)

  • यह स्थल दक्षिण बलूचिस्तान में दाश्त नदी के किनारे स्थित है।

 

 

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