- गुप्त काल में कला की विविध विधाओं जैसे वास्तु, स्थापत्य, चित्रकला, मृदभांड, कला आदि में अभूतपूर्ण प्रगति देखने को मिलती है।
- गुप्तकालीन स्थापत्य कला के सर्वोच्च उदाहरण तत्कालीन मंदिर थे। मंदिर निर्माण कला का जन्म यहीं से हुआ।
- गुप्तकालीन मंदिर छोटी-छोटी ईटों एवं पत्थरों से बनाये जाते थे। ‘भीतरगांव का मंदिर‘ ईटों से ही निर्मित है।
गुप्तकालीन महत्त्वपूर्ण मंदिर
मंदिर | स्थान |
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1- विष्णुमंदिर | तिगवा (जबलपुर मध्य प्रदेश) |
2- शिव मंदिर | भूमरा (नागोद मध्य प्रदेश) |
3- पार्वती मंदिर | नचना-कुठार (मध्य प्रदेश) |
4- दशावतार मंदिर | देवगढ़ (झांसी, उत्तर प्रदेश) |
5- शिवमंदिर | खोह (नागौद, मध्य प्रदेश) |
6- भीतरगांव का मंदिर लक्ष्मण मंदिर (ईटों द्वारा निर्मित) | भितरगांव (कानपुर, उत्तर प्रदेश) |
- ये मंदिर सांची तथा बोधगया में पाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त दो बौद्ध स्तूपों में एक सारनाथ का ‘धमेख स्तूप‘ ईटों द्वारा निर्मित है
- गुप्तकालीन मंदिर कला का सर्वात्तम उदाहरण 'देवगढ़ का दशावतार मंदिर' है। सम्भवतः मंदिर निर्माण में शिखर का यह पहला प्रयोग था।
मूर्तिकला
- इनकी अधिकांश मूर्तियाँ हिन्दू देवी-देवताओं से संबधित है।
- शिव के ‘अर्धनारीश्वर‘ रूप की रचना भी इसी समय की गयी।
- विष्णु की प्रसिद्ध मूर्ति देवगढ़ के दशावतार मंदिर में स्थापित है।
- सारनाथ की बैठे हुए बुद्ध की मूर्ति,
- मथुरा में खड़े हुए बुद्ध की मूर्ति
- सुल्तानगंज की कांसे की बुद्ध मूर्ति
वास्तुकला
- वास्तुकला में गुप्त काल पिछड़ा था।
- वास्तुकला के नाम पर ईंट के कुछ मंदिर मिले हैं जिनमें कानपुर के भितरगांव का, गाज़ीपुर के भीतरी और झांसी के ईंट के मन्दिर उल्लेखनीय है।
चित्रकला
- गुप्त काल में चित्रकला उच्च शिखर पर पहुंच चुकी थी।
- गुप्तकालीन चित्रों के उत्तम उदाहरण हमें महाराष्ट्र प्रांत के औरंगाबाद में स्थित अजन्ता की गुफ़ाओं तथा ग्वालियर के समीप स्थित वाघ की गुफ़ाओं से प्राप्त होते हैं।
अजन्ता
- अजन्ता में निर्मित कुल 29 गुफाओं में वर्तमान में केवल 6 ही (गुफा संख्या 1, 2, 9, 10, 17) शेष है। इन 6 गुफाओं में गुफा संख्या 16 एवं 17 ही गुप्तकालीन हैं।
- इन गुफाओं में अनेक प्रकार के फूल-पत्तियों, वृक्षों एवं पशु आकृति से सजावट का काम, जातक ग्रंथों से ली गई कहानियों का वर्णनात्मक दृश्य के रूप में प्रयोग हुआ है।
- अजन्ता की चित्रकला की एक विशेषता यह है कि इन चित्रों में दृश्यों को अलग अलग विन्यास में नहीं विभाजित किया गया है।
- गुफा संख्या 17 के चित्र को ‘चित्रशाला‘ कहा गया है। इस चित्रशाला में बुद्ध के जन्म, जीवन, महाभिनिष्क्रमण एवं महापरिनिर्वाण की घटनाओं से संबधित चित्र उकेरे गए हैं।
- गुफा संख्या 17 में उत्कीर्ण सभी चित्रों में माता और शिशु नाम का चित्र सर्वोत्कृष्ट है।
- अजन्ता की गुफाऐं बौद्ध धर्म की ‘महायान शाखा से संबधित थी।
अजन्ता में प्राप्त चित्र गुफाओं की समय सीमा
गुफा संख्या | समय |
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9 व 10 | प्रथम शताब्दी (गुप्तकाल से पूर्व) |
16 एवं 17 | 500 ई. (उत्तर गुप्त काल ) |
1 एवं 2 | लगभग 628 ई. (गुप्तोत्तर काल) |
बाघ की चित्रकला
- ग्वालियर के समीप बाघ नामक स्थान पर स्थित विंध्यपर्वत को काटकर बाघ की गुफाएं बनाई गई । 1818 ई. में डेजरफील्ड ने इन गुफ़ाओं को खोजा जहां से 9 गुफ़ाएं मिली है।
- बाघ गुफ़ा के चित्रों का विषय मनुष्य के लौकिक जीवन से सम्बन्धित है।
- बाघ की गुफ़ाएं मध्य प्रदेश में इन्दौर के पास धार में स्थित हैं। बाघ की गुफ़ाएं प्राचीन भारत के स्वर्णिम युग की अद्वितीय देन हैं।
- बाघ की गुफ़ाएं इंदौर से उत्तर-पश्चिम में लगभग 90 मील की दूरी पर, बाधिनी नामक छोटी सी नदी के बायें तट पर और विन्ध्य पर्वत के दक्षिण ढलान पर स्थित हैं।
काफी उपयोगी आर्टिकल