- 'रिनैशां' का अर्थ 'पुनर्जन्म' होता है।
- मुख्यत: यह यूनान और रोम के प्राचीन शास्त्रीय ज्ञान की पुन:प्रतिष्ठा का भाव प्रकट करता है।
- यूरोप में मध्ययुग की समाप्ति और आधुनिक युग का प्रारंभ इसी समय से माना जाता है।
यूरोप में आरंभ
- इटली में इसका आरंभ फ्रांसिस्को पेट्रार्क (1304-1367) जैसे लोगों के काल में हुआ, जब इन्हें यूनानी और लैटिन कृतियों में मनुष्य की शक्ति और गौरव संबंधी अपने विचारों और मान्यताओं का समर्थन दिखाई दिया।
- 1453 में जब कांस्टेटिनोपिल पर तुर्कों ने अधिकार कर लिया, तो वहाँ से भागने वाले ईसाई अपने साथ प्राचीन यूनानी पांडुलिपियाँ पश्चिम लेते गए।
- इस प्रकार यूनानी और लैटिन साहित्य के अध्येताओं को अप्रत्याशित रूप से बाइजेंटाइन साम्राज्य की मूल्यवान् विचारसामग्री मिल गई।
- चार्ल्स पंचम द्वारा रोम की विजय (1527) के पश्चात् पुनर्जागरण की भावना आल्प्स के पार पूरे यूरोप में फैल गई।
साहित्य, कला व विज्ञान में पुनर्जागरण की भावना
- मैकियावेली की पुस्तक "द प्रिंस" में राजनीतिक पुनर्जागरण की सच्ची भावना का दर्शन होता है।
- रॉजर बेकन ने अपनी कृति "सालामन्ज हाउस" में पुनर्जागरण की आदर्शवादी भावना को अभिव्यक्ति प्रदान की है।
- ज्योतिष शास्त्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए और गणित, भौतिकी, रसायन शास्त्र, चिकित्सा, जीवविज्ञान और सामाजिक विज्ञानों में बहुमूल्य योगदान हुए।
- कार्पनिकस ने यह सिद्धांत प्रतिपादित किया कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घुमती है और अन्य ग्रहों के साथ, जो स्वयं अपनी धुरियों पर घूमते हैं, सूर्य की परिक्रमा करती है।
- केप्लर ने इस सिद्धांत को अधिक स्पष्ट करते हुए कहा कि पृथ्वी तथा अन्य ग्रह सूर्य के आसपास वृत्ताकार पथ के बजाय दीर्घवृत्ताकार पथ पर परिक्रमा करते हैं।
- पोप ग्रेगरी ने कैलेंडर में संशोधन किया, कोपरनिकस और कोलंबस ने क्रमश: ज्योतिष तथा भूगोल में योगदान किया।
- प्रत्येक अक्षर के लिए अलग-अलग टाइप के आविष्कार से मुद्रणकला में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ।
पुनर्जागरण का महत्व
- पुनर्जागरण सचमुच वर्तमान युग के आरंभ का प्रधान विषय है।
- साइमों (Symonds) के अनुसार यह मनुष्यों के मस्तिष्क में परिवर्तन से उत्पन्न हुआ।
- अब यह व्यापक रूप से मान्य है कि सामाजिक और आर्थिक मूल्यों ने व्यक्ति की जीवनधारा को मोड़ते हुए इटली और जर्मनी में एक नए और शक्तिशाली मध्यवृत्तवर्ग को जन्म दिया और इस प्रकार बौद्धिक जीवन में एक क्रांति पैदा की।
- पुनर्जागरण और सुधार आंदोलन के विषय में चर्चा करते हुए साइमों ने इन दोनों के बीच घनिष्ठ संबंध सिद्ध किया; किंतु लार्ड ऐक्टन ने साइमों की आलोचना करते हुए दोनों की मूल भावना के बीच अंतर की ओर संकेत किया।
- दोनों आंदोलन प्राचीन पंरपराओं से प्रेरणा करते थे और नए सांस्कृतिक मूल्यों का निर्माण करते थे।