प्रशासनिक और राजनैतिक कार्यों को मान्यता मिली व केन्द्रीय प्रशासन की नींव
कर्मचारियों को निजी व्यापार करने व भारतीयो से उपहार लेने पर रोक
बंगाल के गवर्नल को बंगाल का गवर्नल जनरल घोषित किया जो लॉर्ड हेस्टिंग बना
१७७४ को सुप्रीम कोर्ट की स्थापना कलकत्ता मे हुई
1784 का एक्ट
कंपनी के राजनैतिक व वाणिज्यिक कार्यो का पृथककरण
द्वैध शासन , व्यापारिक मामलो का अधिक्षण ,ब्रिटिश सरकार का कंपनी के कार्यो पर पूर्ण नियंत्रण,कंपनी क्षेत्र को ब्रिटिश आधिपत्य का क्षेत्र कहा गया
1833 का चार्टर अधिनियम
बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल बना दिया गया जिसमे नागरिक व सैन्य शक्ति निहित थी विलियम बैंटक पहला भारत का गवर्नर जनरल बना
मद्रास,बंबई के गवर्नर को विधायिका शक्ति से वंचित कर दिया.इसे नियामक कानून कहा गया.ईस्ट इंडिया की व्यापारिक गतिविधियो को समाप्त कर दिया और प्रशासनिक निकाय बन गया
सिविल सेवा के लिये खुली प्रतियोगिता का आयोजन,कंपनी मे भारतीयो के लिये किसी पद व रोजगार से वंचित नही किया जा सकता हालांकि कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स के विरोध के कारण इसे समाप्त कर दिया
1853 का एक्ट
गवर्नर जनरल की परिषद के विधायी एव प्रशासनिक कार्यो को अलग कर दिया
सिविल सेवा के लिये खुली प्रतियोगिता को भारतीयो के लिये खोल दिया गया
भारतीय केन्द्रीय विधान परिषद मे स्थानीय प्रतिनिधित्व प्रारंभ किया गया
ताज का शासन 1858
इसके तहत भारत का शासन सीधे महारानी के अधीन कर दिया गया,गवर्नर जनरल को वायसराय कर दिया,कैनिग पहला वायसराय बना
नियन्त्रण बोर्ड व निदेशक कोर्ट समाप्त कर दिया द्वैध प्रणाली समाप्त कर दी
भारतीय सचिव की परिषद का गढन किया जिसे भारत व इंग्लैड मे मुकदमा करने का अधिकार था
1861 का एक्ट
कानून बनाने मे भारतीय प्रतिनिधियो को सामिल किया गया
विकेन्द्रीकरण की शुरुआत मद्रास,बंबई को विधायी शक्ती प्रदान की गयी
कैनिग द्वारा शुरु की गयी पोर्ट फोलियो प्रणाली को मान्यता दी गयी
वायसराय को आपातकाल मे बिना कोसिल की अनुमती के अध्यादेश जारी करने के लिये अधिक्रत किया जो ६ माह तक रह सकता था
1892 का एक्ट
-केन्द्रीय तथा प्रांतीय विधान परिषद मे अतिरिक्त सदस्यो की संख्या बढ़ायी गयी जो गैर सरकारी थे
केन्द्रीय विधान परिषद मे व बंगाल चैबंर ऑफ कॉमर्स मे गैर सरकारी सदस्यों के नामांकन के लिये वायसराय की शक्तीयो क प्रावधान
1909 का मॉर्ले-मिटो सुधार
केन्द्रीय व प्रांतीय परिषद के आकार मे वृद्धि
सतेन्द्र प्रसाद वायसराय की कार्यपालिका के प्रथम भारतीय सदस्य बने
निर्वाचन के आधार पर मुस्लिमो के लिये सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व का प्रावधान किया सांप्रदायिकता को वैधानिकता प्रदान की इसलिये मिंटो को सांप्रदायिक निर्वाचन के
जनक के रुप मे जाना जाता है
1919 का मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार
प्रांतीय विषयो को दो भागो मे विभाजित किया ह्स्तांतरित व आरक्षित
देश मे द्विसदनीय व्यवस्था व प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली की शुरुआत ,सांप्रदायिक अधार को विस्तारित किया गया
ल्ंदन में भारत के उच्चायुक्त कार्यालय का सृजन
साइमन कमीशन
1927मे नये संविधान मे भारत की स्थिति का पता लगाने के लिये जॉन साइमन के नेतृत्व मे सात सदस्यीय आयोग का गढन किया गया
1930 मे अपनी रिपोर्ट मे द्वैध शासन प्रणाली,राज्यों मे सरकारों का विस्तार,ब्रिटिश भारत के संघ की स्थापना एव सांप्रदायिक निर्वाचन व्यवस्था को जारी रखने की सिफारिश की.इस प्रस्ताव पर विचार करने हेतु ब्रिटिश सरकार,ब्रिटिश भारत,भारतीय रियासतों के प्रतिनिधियो के साथ तीन गोल मेज स्म्मेलन किये गये और संवैधानिक सुधारो पर एक श्वेत पत्र तैयार किया
सांप्रदायिक अवार्ड
-ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैमजे मैकडोनाल्ड ने अगस्त 1932 मे अल्पसंख्यको के प्रतिनिधित्व पर एक योजना की इसे कम्यूनल अवार्ड के नाम से जाना जाता है
भारत शासन अधिनियम 1935
-केन्द्र मे दैध शासन प्रणाली का शुभारंभ,संघीय विषयो को स्थानांतरित और आरक्षित विषयो मे विभक्त किया
6 प्रांतो मे द्विसदनीय व्यवस्था प्रारंभ की,बंगाल,बंबई, मद्रास,बिहार ,संयुक्त प्रांत और असम.
इसने दलित जातियो ,महिलायो और मजदूर वर्ग के लिये अलग निर्वाचन की व्यवस्था कर सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व दिया.
इसने भारत शासन अधिनियम 1858 द्वारा स्थापित भारत परिषद को समाप्त कर दिया.इसक्रे अंतर्गत देश की मुद्रा और साख पर नियन्त्रण के लिये भारतीय रिजर्ब बैंक की स्थापना की.
इसने न केवल संघ लोक सेवा आयोग बल्कि प्रांतीय सेवा आयोग की स्थापना की