इस्लाम का उदय
- इस्लाम की स्थापना पैगम्बर मोहम्मद द्वारा की गयी थी। इस्लाम ने अपने भीतर ही कई धार्मिक और आध्यात्मिक आंदोलनों को देखा।
- इस्लाम के भीतर दो मुख्य पंथ (Sects) उभरे। प्रथम, सुन्नी और द्वितीय शिया। भारत में तो ये दोनों ही पंथ पाये जाते है लेकिन कई अन्य देशों जैसे ईरान, इराक, पाकिस्तान आदि में इनमें से प्रमुख रूप से किसी एक का ही अनुसरण करने वाले धर्मावलंबी पाये जाते है।
- सुन्नी के भीतर इस्लामी कानून के 4 मुख्य संप्रदाय (Principal School's) पाये जाते हैं। ये कुरान और हदीस (पैगम्बर की कही गयी बातों और कृत्यों की परंपराओं पर आधारित हैं।
- इस संप्रदाय के सबसे बड़े प्रतिपादक ‘अबु हामिद अल-घजाली’ (1058-1111 AD) हैं जिन्हें कट्टरतावाद (Orthodoxy) का रहस्यवाद अथवा सूफीवाद (Mysticism) के साथ सामंजस्य कराने का श्रेय जाता है।
- उनका मानना था कि सकारात्मक ज्ञान, तर्क विवेक द्वारा नहीं बल्कि ‘रहस्योद्घाटन’ (Revelation) द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
- सूफियों ने भी कुरान के प्रति उतनी ही निष्ठा दर्शायी जितनी की उलेमाओं ने।
सूफी कौन थे?
- सूफी रहस्यवादी (Mystics) थे। वे उलेमाओं से भिन्न थे। वे राजनीतिक व धार्मिक जीवन में आयी विकृतियों से दुखी थे। लोक जीवन में धन के अशिष्ट प्रदर्शन के वे विरोधी थे।
- सूफियों ने मुक्त विचार और उदार विचारों पर बल दिया। वे औपचारिक पूजा आराधना (Formal Worship) कठोरता और धर्म में उन्माद के पक्ष में नहीं थे।
- समय के साथ सूफी विभिन्न सिलसिलाओं में बंट गये जिनमें से प्रत्येक सिलसिला का अपना खुद का ‘पीर’ (Pir) था जिसे ‘ख्वाजा’ या ‘शेख’ कहा जाता था।
- सूफियों ने वहदत-उल-वजूद (Unity of Being) की धारणा में विश्वास किया।
भारत में सूफीवाद
- ऐसा माना जाता है कि भारत में सूफीवाद का आविर्भाव 11वीं एवं 12वीं शताब्दी में हुआ था। भारत में बसने वाले शुरुआती सूफियों में ‘अल-हुजवारी’ थे जिनकी मृत्यु 1089 में हुई थी।
- इन्हें चर्चित रूप में दाता गंज बख्श (असीमित खजाने का दाता) के नाम से भी जाना जाता है। शुरु-शुरु में सूफियों का मुख्य केन्द्र मुल्तान व पंजाब था।
- 13वीं और 14वीं शताब्दी तक यह कश्मीर, बिहार, बंगाल और दक्कन में फैला। सूफी अफगानिस्तान के जरिये भारत आये थे।
चिश्ती सिलसिला
- इस संप्रदाय अथवा सिलसिला का गठन ‘हेरात के निकट ख्वाजा चिश्ती नामक गांव’ में किया गया था। वहां इसकी स्थापना ‘अबू इस्हाक सामी’ और उनके शिष्य ‘ख्वाजा अबू अब्दाल चिश्ती' द्वारा किया गया| लेकिन भारत में इसका सर्वप्रथम प्रचार ‘ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती’ ने किया था।
- भारत में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती द्वारा ‘चिश्ती सिलसिला’ का गठन हुआ जो 1192 में भारत आये थे।
- उन्होंने अपनी शिक्षाएं देने के लिए अजमेर को मुख्य केन्द्र बनाया।
- उनके प्रमुख शिष्यों में शामिल थेः ‘नागौर के शेख हामीदुद्दीन’ और ‘कुतबुद्दीन बख्तियार काकी’।
- बाबा फरीद ने चिश्तिया सिलसिले को भारत में लोकप्रिय बनाया। ये बलबन के दामाद थे।
- बाबा फरीद के सबसे प्रमुख चर्चित शिष्य ‘शेख निजामुद्दीन औलिया’ (1238-1325) थे और दिल्ली को चिश्ती सिलसिला का प्रमुख केन्द्र बनाने में उन्होंने सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी।
- इन्होंने हांसी और अजोधन (पाकिस्तान) को अपने क्रियाकलापों का केन्द्र बनाया।
- इसके बाद चिश्ती सिलसिला के शिष्य पूर्वी और दक्षिणी भारत की तरफ गये।
सुहरावर्दी सिलसिला
- इस सिलसिले का गठन ‘शेख शिहाबुद्दीन सुहरावर्दी’ ने किया था।
- भारत में इसकी स्थापना ‘शेख बहाउद्दीन जकारिया’ (1182-1262) ने किया था। उन्होंने एक प्रमुख खानकाह (Khanqah) मुल्तान में बनाया।
फिरदासी सिलसिला
- फिरदासी सिलसिला सूफी संतों की एक व्यवस्था थी। यह सुहरावर्दी सिलसिला की एक शाखा थी जिसने 14वीं शताब्दी में महत्त्व प्राप्त किया।
- फिरदासी सिलसिला को समरकंद (Samarqand) के शेख बदरुद्दीन द्वारा दिल्ली में गठित किया गया।
- शेख सैफुद्दीन बखारजी खलीफा अथवा शेख नजमुद्दीन कुबरा (Shaikh Najmuddin Kubra) के वरिष्ठ शिष्य (Senior Disciple) थे।
- शेख बदरुद्दीन के बाद शेख रुकनुद्दीन फिरदासी ने इस सिलसिले का नेतृत्व किया और उन्हीं के साथ ही यह सिलसिला फिरदासी सिलसिला कहलाया।
- फिरदासी 11वीं शताब्दी का फारसी कवि (Persian poet) था जिसने शाहनामा अथवा सम्राटों की किताब (Book of Kings) लिखी थी जो ईरान के राजाओं के प्रसिद्ध इतिहास की कृति है। उसका वास्तविक नाम अबुल कासिम मंसूर था।
कादरी सिलसिला
- ‘शेख अब्दुल कादर गिलानी’ (1077-1166) ने इस सिलसिले की नींव डाली थी। भारत में इसे सैय्यद मुहम्मद गिलानी के द्वारा शुरू किया गया जो यहां आये और बस गये।
- इस सिलसिला ने बहुत से हिन्दुओं को प्रभावित कर अपने दायरे में ला पाने में सफलता प्राप्त की।
- कादरी सिलसिला भारत में मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश व दक्कन में फैला।
- शाहजहां का सबसे बड़ा पुत्र दाराशिकोह कादरी सिलसिला का अनुसरणकर्ता हो गया था और लाहौर में ‘मिया मीर कादिरी’ (1550-1635) से मिलने के लिए भ्रमण करता था।
सत्तारी सिलसिला
- सत्तारी सिलसिला भारत में सल्तनत काल (लोदी काल) में शुरू हुआ। इसे शाह अब्दुल द्वारा पश्चिम से लाया गया था।
- ग्वालियर के मुहम्मद गौथ (Muhammad Ghauth) (1485-1562) इस सिलसिला के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण सूफी संत हैं।
नक्सबंदी सिलसिला
- अकबर के शासन काल के अंत के समय इस सिलसिला को महत्त्व मिलना शुरू हो गया।
- काबुल से आकर ख्वाजा बाकी बिल्लाह (Khawaja Baqui Billah) ने इस सिलसिले की शुरूआत की।
- यह सिलसिला इस्लामी आर्थोडाक्सी के नजदीक है और अकबर को धर्मविरोधी अथवा विधर्मी (Heretic) माना।
भारत में महत्त्वपूर्ण सूफी संतों की दरगाह
वर्तमान समय में दरगाह धार्मिक आस्था के केन्द्र के साथ-साथ सांप्रदायिक सौहार्द के महत्त्वपूर्ण केन्द्र के रूप में काम करते हैं। विभिन्न समुदाय अपनी मन्नतों को पूरा करने के लिए सूफी संतों की दरगाहों पर जाते हैं।
- ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती का दरगाह अजमेर, राजस्थान में स्थित है।
- शेख फरीद्दुदीन गंज-ए-शकर की दरगाह मुल्तान के कोठेवाल जिले में स्थित है।
- निजामुद्दीन औलिया की दरगाह दिल्ली में स्थित है।
- सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में स्थित है। इसे दरगाह शरीफ भी कहते हैं।
- सूफी शेख शराफुद्दीन मुनीरी की दरगाह बिहार शरीफ में स्थित है।
- हजरतबल की दरगाह श्रीनगर में स्थित है।
- सूफी संत शाहुल हमीद की दरगाह, नागोर, तमिलनाडु में है। नागोर-ए-शरीफ में कंडुरी त्योहार मनाया जाता है। यह वार्षिक स्तर पर मनाया जाने वाला त्यौहार है। कुछ जगहों पर इसे झंडे त्यौहार कहा जाता है।
- सूफी संत नाथेरवली (Nathervali) की दरगाह तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में है।